मन तो था

मन तो था
कि तेरी ज़िन्दगी के
सबसे ज़रूरी दिन 
तेरे साथ खड़ी रहूंगी
कंधे से कंधा मिलाकर
कद छोटा है फिर भी
लेकिन तू तो जानती है ना
पिता से पति तक के दायरे में बंधी
तेरी मेरी ज़िन्दगी में
तेरे मेरे मन के कहा कोई मायने है
इसलिए आ ना सकी
जो वादा नहीं किया था
उसे भी निभा ना सकी
नाराज़गी तेरी जायज़ है
और स्वीकार भी मुझे

मन तो था
कि तेरी मुस्कुराहट तले
दबे आंसुओं को अनदेखा कर
मैं भी तेरे साथ मुस्कुरा लूंगी
क्योंकि फिर शायद कभी तेरे भावों को
घूंघट के पीछे कोई जान ना पाएगा
किसे पता था जिस दिन से
हम दोनों डरते थे 
वो इतना जल्दी आ जाएगा

इसलिए मन तो बहुत था
कि तेरे अकेलेपन को
मेरे अकेलेपन का साथ दे पाऊं
लेकिन अंत में सबकी तरह 
मैं भी चौखट लांघ ना पाई
और एक रात में तेरे अस्तित्व के
माने बदल गए 
और शायद तू भी
और तेरे लिए मैं भी
मानो जैसे अग्नि ने 
तुझे उससे बांध दिया हो
और तेरे स्व को जला डाला हो

मन तो था
कि तेरा हाथ पकड़ कर
तुझे तुझसे अलविदा कहलवा पाऊं
और जब आयने में तू खुद को ना ढूंढ़ पाए
तो मैं बस तेरी परछाई बन तुझे दिलासा दे पाऊं
मन का अगर हो नहीं सकता तो कहा तो जा सकता है ना
मन की मन में रख कर कहां जाऊंगी
सो कह दिया
शब्दों की आभारी मैं
आख़िर में तेरी खुशी की ही कामना कर पाऊंगी
                                                  - प्रावी

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