गुलाब

कभी किसी गुलाब को बचाने
भंवरा थोड़े ही आएगा
वो तो नित ही रस निचोड़ कर उसका
दूसरे की तलाश में चला जाएगा

कभी किसी आंगन में
गुलाब बड़ा ना होने पाएगा
प्रेमिका की फीकी मुस्कान के खातिर
उसे यूं ही कुर्बान कर दिया जाएगा

सोचती हूं, क्यूं गुलाब ने 
वर में कांटे मांगे होंगे
क्या अपनी नियति से बचकर
कभी ये भी भागे होंगे

क्या कभी किसी गुलाब ने
गुलाब होना सौभाग्य जाना होगा
या अपनी कोमलता को केवल
उसने एक अभिशाप माना होगा

कभी वेदना गुलाब की 
कोई सुन ना पाएगा
प्रीत और खूबसूरती का बोझ उठाते-उठाते
एक दिन गुलाब मुरझा जाएगा
                                          - प्रावी

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