जब

जब सब छूट रहा हो तो
किस डोर को बांधू
किससे बांधू

जब स्व टूट रहा हो तो 
किसमें बाँटू
कितना बाँटू

जब भाग्य ही रूठ रहा हो तो
किसे मनाऊं
किसकी मानू

जब समय लूट रहा हो तो
अपना हिस्सा 
कैसे छाँटू
                      - प्रावी

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